दिल्ली-जयपुर रेलमार्ग और दिल्ली-झुंझुनू राजमार्ग पर दिल्ली से लगभग सवा सौ किलोमीटर पश्चिम-दक्षिण में बसा ऐतिहसिक नगर नारनौल हरियाणा के जिला महेंद्रगढ़ का मुख्यालय है| महर्षि च्यवन की पतोभूमि, सम्राट शेरशाह सूरी की क्रिड़ास्थली और अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल की कर्मस्थली, संत कवि नितानंद की जन्मस्थली रहा ये इलाका अतीत में राजाओं, नवाबों और रईसोंं की राजधानी रहा है। यहाँ के प्राचीन भवन और सरोवर इसके वैभवपूर्ण अतीत को बखूबी ब्यान करते हैं। औरंगजेब को नाकों चने चबवाने वाले सतनामी इसी शहर के नागरिक थे| नारनौल 1857 की क्रांति का प्रमुख केंद्र रहा है| नसीबपुर के मैदान में लगभग पांच हजार वीरों ने शहादत दी थी|
यहाँ आज भी बहुत से ऐतिहासिक स्मारक हैं ही इसके वैभवशाली अतीत की गवाही देते हैं| यहाँ मौजूद कुल 14 ऐतिहासिक स्मारकों में से 3 केन्द्रीय पुरातत्व तथा शेष 11 हरियाणा राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं। यहाँं के प्रमुख स्मारकों में सम्राट शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित उनके दादा इब्राहिम खान का मकबरा, जल महल, शाहकुली खान का मकबरा, राय बालमुकुन्द का छत्ता जिसे बीरबल का छत्ता के नाम से जाना जाता है, तख्त वाली बावड़ी, चोर गुम्बद और शेख मिहिंरा की दरगाह आदि शामिल हैं।
नारनौल नगर को 23 वार्डों में बांटा गया है और नगर परिषद् इसकी देखभाल करती है|
जिला प्रशासन ने अपनी अधिकारिक वेबसाइट बनाकर इस नगर के बारे में काफी जानकरी ऑनलाइन की है, किन्तु वह सरकारी विभागों तक ही सिमित है| इस पोर्टल के माध्यम से हम नारनौल की सभी जानकारियां ऑनलाइन उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत हैं|
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