बड़ी सोच से अनपढ़ देवाराम के परिवार में हैं दर्ज़न भर प्रथम और द्वितीय श्रेणी अधिकारी

व्यक्ति की सोच बड़ी और इरादा दृढ हो तो वह कुछ भी कर सकता है| यह कहावत जिला महेंद्रगढ़ के गाँव नीरपुर निवासी स्व. देवाराम पर पूरी तरह सटीक बैठती है| जिसने खुद अनपढ़ होते हुए अपने तीनों बेटों को शिक्षित कर ऐसे पथ पर डाला कि उनका परिवार अब राष्ट्रीय ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुका है| परिवार में दर्ज़नभर प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारी बन चुके हैं| 
महेंद्रगढ़ जिले का छोटा-सा गाँव है नीरपुर, जो नारनौल-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 11 पर नारनौल से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| गाँव के निवासी देवाराम एक छोटी जोत वाले किसान थे, जिनके पास करीब डेढ़ एकड़ भूमि थी| उनके तीन बेटे और दो बेटियाँ कुल पाँच संतान हुई| 
ये उस दौर की बात है जब पटवारी, नम्बरदार और थानेदार ही सरकार होते थे| देवाराम भी अपने बेटों को पटवारी, नम्बरदार और थानेदार बनाना चाहते थे| इसलिए उन्होंने बेटों को अन्य लोगों की तरह खेतीबाड़ी में लगाने की बजाय पढ़ाने का निर्णय किया|  पिता का सपना तब पूरा होने लगा जब बड़ा बेटा नन्दलाल सिंह पटवारी बन गया| मझले बेटे जोखीराम का मन पढाई में कम लगता था, क्योंकि उसे देवाराम के चाचा कालूराम ने गोद ले लिया था और बहुत लाड-प्यार करते थे| परिणाम स्वरुप माध्यमिक कक्षा से पढ़ लिख नहीं सके | इसलिए पिता ने उन्हें नम्बरदार बनाने का मंसूबा बना लिया| चूँकि नम्बरदारी पहले ही कुटुंब के एक दबंग बुजुर्ग छाजूराम के पास थी, इसलिए देवराम का एक बेटे को नम्बरदार बनाने का सपना भी जल्दी ही पूरा हो गया और उनका मझला बेटा जोखीराम पहाड़ और नदी का ठेकेदार और नम्बरदार बन गया था| 
तीसरा बेटा मानसिंह अच्छा खिलाडी और विद्यार्थी था तो पिता ने उससे थानेदार बनने की उम्मीदें पाल ली| दोनों बड़े भाइयों और पिता ने मिलकर छोटे को पढने अहीर कॉलेज रेवाड़ी भेज दिया और उसने अपनी खेल प्रतिभा के दम पर पंजाब पुलिस में सीधे सहायक उपनिरीक्षक के पद पर भर्ती होकर अपने पिता का सपना पूरा कर दिया| इस प्रकार एक अनपढ़ व्यक्ति ने खेतों में कड़ी मेहनत करके अपने तीनों बेटों को ऐसे हाईवे पर डाल दिया कि फिर इस परिवार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा| 
पटवारी भर्ती हुए नंदलाल सिंह तहसीलदार के पद पर रहते हुए स्वर्ग सिधारे और थानेदार भर्ती हुए मानसिंह आई.पी.एस. बनकर एस.एस.पी. के पद से सेवानिवृत हुए| राव मानसिंह जिला महेंद्रगढ़ के आई.पी. एस अधिकारी बनने वाले दूसरे व्यक्ति थे| सेवानिवृति के बाद राव मानसिंह राजनीति में आये और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष बने| कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष बनने वाले वे जिले के प्रथम व्यक्ति थे| राव मानसिंह, चौधरी देवी लाल के स्वर्गवास के बाद उनकी खाली हुई सीट पर राज्यसभा के लिए चुने गए और जिले से राज्यसभा में जाने वाले पहले राज्यसभा सांसद बने |
देवाराम के तीनों बेटों ने भी अपनी संतति को उच्च शिक्षा दिलवाई जिससे देवाराम की तीसरी पीढ़ी ने भी नयी बुलंदियां छुई हैं|
स्व. नंदलाल सिंह का इकलौता बेटा डॉ.जे.एस. यादव बहुत होनहार निकला और उच्च शिक्षा प्राप्त कर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जीव वैज्ञानिक और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर बना| कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की विज्ञान संकाय के डीन और प्राणिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहने के अलावा पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ की सीनेट के 12 साल तथा सिंडिकेट और फाइनेंस बोर्ड के सदस्य रहे| डॉ यादव जीव वैज्ञानिक और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर बनने वाले महेंद्रगढ़ जिले के पहले व्यक्ति थे|
स्व.जोखीराम का बड़ा बेटा हरिंद्र यादव बैंक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुआ है और दूसरा बेटा सत्येन्द्र यादव हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर है| तीसरा बेटा रघुविन्द्र यादव शिक्षा विभाग में प्रवक्ता और ख्यातिनाम साहित्यकार, शोध और साहित्य की राष्ट्रीय पत्रिका 'बाबूजी का भारतमित्र' का संपादक और पर्यावरण कार्यकर्ता है| जोखी राम का सबसे छोटा बेटा यादवेन्द्र सिंह विधि स्नातक (अधिवक्ता) है और प्रसिद्ध हस्तरेखा विशेषज्ञ है|
राव मान सिंह का बड़ा बेटा सुखविन्द्र सिंह हरियाणा बिजली बोर्ड से अधीक्षक अभियंता (एसई) के पद से सेवानिवृत्त हुआ है और छोटा बेटा अजय यादव प्रोफेशनल पायलट है|
स्व.देवाराम की चौथी पीढ़ी भी अपने पुरखों की परम्परा को आगे बढ़ा रही है| डॉ.जे.एस.यादव का बड़ा बेटा अरविन्द यादव आज भारतीय सेना में मेजर जनरल है| इस पद तक पहुँचने वाले वे जिले के पहले व्यक्ति हैं| मझला बेटा डॉ. अतुल यादव कॉलेज प्रोफेसर और इतिहासकार है| सबसे छोटा बेटा असीम राव पत्रकार है और आजकल नारनौल प्रेस क्लब का प्रधान है|
हरीन्द्र यादव का बेटा विनय यादव आई आई टी से एम.टेक करके बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजिनियर है और दो बेटियां दिल्ली में शिक्षिकाएं हैं|
सत्येन्द्र यादव का बेटा इंजिनियर अनूप यादव भारतीय स्टेट बैंक में अधिकारी है और बेटी अनुमेहा यादव इंजिनियर|
रघुविन्द्र यादव का बेटा आलोक यादव सॉफ्टवेर इंजिनियर है और बेटी अलका यादव दिल्ली के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रही है|
सुखविन्द्र सिंह यादव की बेटी अनामिका एमबीबीएस एमडी डॉक्टर हैं और बेटा कैप्टन अभिजीत पायलट है|
यादवेन्द्र सिंह की बेटी रूमी यादव और बेटा सक्षम तथा अजय यादव के बच्चे अभी शिक्षारत हैं|
स्व. देवाराम की पांचवीं पीढ़ी में अरविन्द यादव की बेटी अपूर्वा यादव लॉ ग्रेजुएट हो चुकी हैं और आगे अध्यनरत हैं|
आज देवाराम की दूरदृष्टि के परिणाम स्वरुप उनके परिवार में सांसद, पुलिस, प्रशासनिक और सैन्य अधिकारी, डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, साहित्यकार, पत्रकार, पायलट आदी बनकर परिवार, गाँव और जिले का नाम रोशन कर चुके हैं| 

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